माधव राष्ट्रीय उद्यान
शिवपुरी का सर्वाधिक महत्व यहां के राष्ट्रीय उद्यान के कारण है सन् 1918 में सिंधिया वंश के शासक माधवराव सिंधिया ने अपने वन विहार एवं आखेट स्थली के रूप में इस क्षेत्र को विकसित किया।
मध्यप्रदेश राजपत्र दिनांक 12 सितंबर 1958 में प्रकाशित विज्ञप्ति के अनुसार दिनांक 1 जनवरी1959 से इस स्थान को राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया और इसका नाम माधव राष्ट्रीय उद्यान रखा गया।
कुल 338 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस उद्यान में विंध्याचल पर्वत की वनाच्छादित चोटियों के अतिरिक्त अनेक पहाड़ी, नाले, झरने, सुरम्य घाटियां, भरखे एवं खोहें इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई 380 मीटर से 480 मीटर के मध्य है।
राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक तीन आगरा-मुम्बई रोड एवं राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 25 शिवपुरी भोगनीपुर रोड़ इस उद्यान को तीन भागों में विभक्त करते हैं। जलवायु पर आधारित वर्गीकरण के अनुसार इस उद्यान के वन उत्तरी अयन वृतीय पतझर वाले वनों की श्रेणी में आते हैं। उद्यान में मुख्यतः खैर, करघई, आंवला, सालई, छावड़ा प्रजाति के वृक्ष पाए जाते हैं।अन्य वनस्पतियों के रूप में मकोई, ककई, पुआर, दूधी, करोंदा, हारसिंगार आदि मिलते हैं।
इस राष्ट्रीय उद्यान में चीतल, चिंकारा, सांभर, नीलगाय, चौसिंगा, जंगली सुअर, शेर, बन्दर, हिरण, तेंदुआ, मगर इत्यादि जानवर तथा पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां देखी जा सकती हैं। स्थलीय पक्षियों में मोर, सफेद तीतर, भट तीतर, सफेद फाख्ता, बटेर, लोवा, दूधराज, भृंगराज आदि तथा जलीय पक्षियों में सारस, कुंज, ढोक, हरगिला, चमचा, पनडुब्बी, जलमुर्गी, नुक़्ता सुरखाव तथा हंस आदि प्रमुख हैं।
इस उद्यान में पक्की सड़कों का जाल बिछा होने के कारण यह पूरे वर्ष सैलानियों की सैर के लिए खुला रहता है। राष्ट्रीय उद्यान के उच्चतम स्थान पर स्थित जॉर्ज कैशल की कोठी शांति एवं एकान्त की खोज में आये पर्यटकों के लिए वरदान साबित होती है। इस कोठी की सुन्दर पक्की बनी दृश्य मीनारों से वन्य प्राणी अपने स्वाभाविक रूप में आसानी से देखें जा सकते हैं।
माधव राष्ट्रीय उद्यान' की स्थापना वर्ष 1958 में मध्य प्रदेश के राज्य बनने के साथ ही की गई थी। यह उद्यान मूल रूप से ग्वालियर के महाराजा के लिए शाही शिकार का अभयारण्य था। इस उद्यान का कुल क्षेत्रफल 354.61 वर्ग कि.मी. है। ग्वालियर के माधवराव सिंधिया ने वर्ष 1918 में मनिहार नदी पर बांधों का निर्माण करते हुए सख्य सागर और माधव तालाब का निर्माण करवाया था, जो आज अन्य झरनों और नालों के साथ उद्यान के इकलौते बड़े जल निकाय हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान को 1972 के 'वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम' के तहत और भी अधिक सुरक्षित बनाया गया है। यहाँ की ऊंचाई 360-480 मीटर के आस-पास है।
मुगल सम्राट अकबर भी शिवपुरी में हाथी और शेर का शिकार करने आया करते थे।
शिवपुरी स्थित माधव नेशनल पार्क का नाम इतिहास के पन्नों में अकबर के शासनकाल से लेकर औपनिवेशिक काल तक दर्ज है। ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने यहां हाथियों के पूरे झुंड को अपने अस्तबल तक पहुंचाया था। इतिहास में दर्ज इस लेख से साबित होता है कि शिवपुरी का जंगल हाथियों और शेरों का सदियों पुराना रहवास है। नेशनल हाईवे-3 पर स्थापित नेशनल पार्क की देखरेख वन विभाग वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत कर रहा है। हर साल हजारों टूरिस्ट यहां वाइल्ड लाइफ और प्रकृति के अनूठे नजारे देखने पहुंचते हैं।
शिवपुरी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश शुल्क – Madhav National Park Entry Fees In Hindi
भारतीयों का प्रवेश शुल्क 15 रूपए प्रति व्यक्ति हैं।
विदेशी नागरिको के लिए 150 रूपए प्रति व्यक्ति हैं।
कैमरा ले जाने का चार्ज 25 रूपए प्रति कैमरा।
वीडियों कैमरा के लिए 200 रूपए चुकाना होता हैं।
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